मैनपुरी. उत्तर प्रदेश में 24 साल बाद सपा नेता मुलायम सिंह यादव और बसपा प्रमुख मायावती एक मंच पर नजर आए। मैनपुरी में दोनों दलों की संयुक्त रैली में मायावती ने मुलायम के लिए प्रचार किया। मायावती ने कहा- मुलायम सिंह जी असली, वास्तविक हैं। वे भाजपा की तरह नकली या प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तरह फर्जी रूप से पिछड़े वर्ग के नहीं हैं। मुलायम को मैनपुर में आप रिकॉर्ड तोड़ वोटों से जिताएं।
वहीं, मुलायम सिंह ने इस रैली में मायावती का आभार जताया। कहा- बहुत दिनों बाद साथ आने के लिए मायावतीजी का अभिनंदन करता हूं। उम्मीद है कि सपा-बसपा का गठबंधन राज्य में भारी मतों से जीतेगा। आज मायावतीजी आई हैं। उनका हम स्वागत करते हैं, आदर करते हैं। मायावती जी का बहुत सम्मान करना हमेशा, क्योंकि समय जब भी आया है, मायावती जी ने हमारा साथ दिया है। हमें खुशी है कि हमारे समर्थन के लिए वे आईं हैं।
चौकीदारी की नाटकबाजी भी मोदी को नहीं बचा पाएगी- मायावती
मायावती ने कहा, "नकली पिछड़ा व्यक्ति कभी भी देश भला नहीं कर सकता। नकली पिछड़े लोगों से धोखा खाने की जरूरत नहीं है। असली-नकली कौन है, इसकी पहचान कर ही अपने गठबंधन को कामयाब बनाना है। पिछड़ों के असली नेता मुलायम जी को ही चुनकर भेजना है।'
"आजादी के बाद काफी लंबे समय तक देश में ज्यादातर सत्ता कांग्रेस और उसके बाद भाजपा या अन्य पार्टियों के हाथ में रही। भाजपा की संकीर्णवादी, सांप्रदायिक नीतियों की वजह से उनकी सरकार वापस चली जाएगी। उनकी चौकीदारी की नाटकबाजी भी नहीं बचा पाएगी।'
"मोदी ने पिछले चुनाव में कई चुनावी वादे किए थे। उन्होंने कहा था कि भाजपा के सत्ता में आने के बाद विदेशों में जमा काला धन वापस देश के हर व्यक्ति के खाते में 15 लाख रुपए डाले जाएंगे। क्या किसी को भी ये रुपए मिले?'
"कांग्रेस पार्टी क्या कर रही है। वे पूरे देश में घूम-घूमकर कह रहे हैं कि सत्ता में आने के बाद गरीबों को आर्थिक मदद की जाएगी। इस थोड़ी सी आर्थिक मदद से आपका भला नहीं होने वाला। हम गरीबों को स्थायी नौकरी देंगे।''
हमें नया प्रधानमंत्री चाहिए-अखिलेश
अखिलेश ने कहा, "आज ऐतिहासिक क्षण है। मायावती ने जनता से अपील की है कि नेताजी को बहुमत से जिताएं। मुझे पूरा भरोसा है कि नेताजी ने जिस तरह से हमें जगाने का काम किया, उन्हें मैनपुरी की जनता ऐतिहासिक मतों से जिताने जा रही है।''
"इस देश की खेती और किसान आत्मा है। लोगों के रोजगार खत्म हो गए। यह चुनाव दलित, पिछड़े, अल्पसंख्यकों के लिए है। हमें नया प्रधानमंत्री बनाना है। जब नया प्रधानमंत्री बनेगा, तभी देश नया बनेगा। भाजपा ने नोटबंदी-जीएसटी लाकर देश को अंधेरे में डाल दिया।''
"अगर ग्रामीण जनता का किसी ने विकास हुआ है तो सपा-बसपा की सरकार ने किया है। हमने दिल्ली पास कर दी। क्या आपका फर्ज नहीं कि सपा-बसपा-रालोद के लिए दिल्ली पास लाकर दिखाएं।''
अजित सिंह नजर नहीं आए
सभा में माया-मुलायम के अलावा अखिलेश यादव भी मौजूद रहे। रालोद प्रमुख अजित सिंह नहीं पहुंच सके। 1995 में सपा-बसपा ने गठबंधन करके विधानसभा चुनाव लड़ा था, इसके बाद गेस्ट हाउस कांड के कारण दोनों दलों में दूरियां हो गईं थीं।
मैनपुरी की सभा से पहले महागठबंधन की तीन रैलियां (सहारनपुर, बदायूं और आगरा) हो चुकी हैं। इनमें से आगरा की रैली में मायावती चुनाव आयोग की रोक के कारण नहीं पहुंची थीं, उनकी जगह उनके भतीजे आकाश आनंद ने सभा को संबोधित किया था। अखिलेश और मायावती आज ही बरेली में भी एक सभा करेंगे।
गठबंधन की संयुक्त रैलियां
20 अप्रैल को रामपुर और फिरोजाबाद में, 25 अप्रैल कन्नौज, 1 मई को फैजाबाद, 8 मई को आजमगढ़, 13 मई को गोरखपुर में गठबंधन की रैली होंगी। लोकसभा चुनाव के लिए महागबंधन की आखिरी रैली 16 मई को वाराणसी में होगी। गठबंधन की ओर से 11 सीटों के लिए हो रहीं 11 साझा रैलियों में से मैनपुरी, कन्नौज, बदायूं, फिरोजाबाद और आजमगढ़ अभी मुलायम सिंह के परिवार के पास हैं। सहारनपुर और आगरा बसपा के खाते में है।
Friday, April 19, 2019
Monday, April 15, 2019
पाकिस्तान में दूध की क़ीमत 180 रुपए लीटर: प्रेस रिव्यू
महंगाई की मार झेल रहे पाकिस्तान में आम लोगों की मुसीबतें कम होने का नाम नहीं ले रहीं. दैनिक हिंदुस्तान की ख़बर के मुकाबिक़, पाकिस्तान में रोज़ाना ज़रूरत की चीज़ों के दाम आसमान छू रहे हैं.
सब्ज़ियों और पेट्रोल और डीज़ल के दाम तो पहले से ही बढ़े हुए थे और अब इसमें दूध के दाम भी शामिल हो गए हैं. अख़बार लिखता है कि पाकिस्तान में इस समय दूध 120 से 180 रुपये लीटर तक बिक रहा है.
कराची डेयरी फ़ार्मर्स एसोसिएशन ने दूध के दाम में 23 रुपये प्रति लीटर की बढ़ोत्तरी कर दी है. एसोसिएशन का कहना है कि पशुओं को खिलाए जाने वाले चारे और ईंधन की कीमतें काफी बढ़ गई हैं इसलिए दूध के दाम बढ़ाना मजबूरी थी.
इसी अख़बार ने छापा है कि घाटी से जैश नेतृत्व साफ़ हो गया. अख़बार ने यह ख़बर सेना के हवाले से लिखा है. अख़बार लिखता है कि सेना के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि कश्मीर घाटी से आतंकी संगठन जैश ए मोहम्मद के नेतृत्व का सफाया कर दिया गया है. उन्होंने कहा कि सेना किश्तवाड़ समेत जम्मू क्षेत्र में आतंकवाद को दोबारा सिर नहीं उठाने देगी.
नवभारत टाइम्स ने इस ख़बर को प्रमुखता से अपने पन्ने पर लिया है. अख़बार लिखता है कि यूं तो प्रियंका ने जिस दिन सक्रिय राजनीति में क़दम रखा उसी दिन से कयास लगने लगे थे कि वो चुनाव लड़ सकती हैं.
हालांकि वो मना कर चुकी हैं और कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी भी इसे प्रियंका का फ़ैसला बता चुके हैं लेकिन एक बार फिर इसकी संभावनाएं नज़र आ रही हैं.
चुनाव प्रचार को दौरान जब एक पत्रकार ने प्रियंका से पूछा कि क्या वो चुनाव लड़ रही हैं तो उन्होंने उल्टा सवाल दागते हुए कहा क्या वाराणसी से लडूं?
प्रियंका गांधी ने कहा कि वह चुनाव में खड़े होने के लिए तैयार हैं लेकिन जब पार्टी कहेगी.
द टाइम्स ऑफ़ इंडिया की एक रिपोर्ट के मुताबिक राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण के निर्देश पर हो रही सीलिंग के विरोध के दौरान हुई झड़प में तीस लोग घायल हो गए हैं. शनिवार सुबह दक्षिणी दिल्ली के मायापुरी इलाक़े में स्थानीय दुकानदारों ने सीलिंग की कार्रवाई का विरोध किया. अधिकारी यहां अवैध कबाड़ यूनिटों को बंद करने आए थे. इस दौरान पुलिसबलों और स्थानीय लोगों में झड़पें हो गईं और अफ़रातफ़री का माहौल रहा.
सब्ज़ियों और पेट्रोल और डीज़ल के दाम तो पहले से ही बढ़े हुए थे और अब इसमें दूध के दाम भी शामिल हो गए हैं. अख़बार लिखता है कि पाकिस्तान में इस समय दूध 120 से 180 रुपये लीटर तक बिक रहा है.
कराची डेयरी फ़ार्मर्स एसोसिएशन ने दूध के दाम में 23 रुपये प्रति लीटर की बढ़ोत्तरी कर दी है. एसोसिएशन का कहना है कि पशुओं को खिलाए जाने वाले चारे और ईंधन की कीमतें काफी बढ़ गई हैं इसलिए दूध के दाम बढ़ाना मजबूरी थी.
इसी अख़बार ने छापा है कि घाटी से जैश नेतृत्व साफ़ हो गया. अख़बार ने यह ख़बर सेना के हवाले से लिखा है. अख़बार लिखता है कि सेना के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि कश्मीर घाटी से आतंकी संगठन जैश ए मोहम्मद के नेतृत्व का सफाया कर दिया गया है. उन्होंने कहा कि सेना किश्तवाड़ समेत जम्मू क्षेत्र में आतंकवाद को दोबारा सिर नहीं उठाने देगी.
नवभारत टाइम्स ने इस ख़बर को प्रमुखता से अपने पन्ने पर लिया है. अख़बार लिखता है कि यूं तो प्रियंका ने जिस दिन सक्रिय राजनीति में क़दम रखा उसी दिन से कयास लगने लगे थे कि वो चुनाव लड़ सकती हैं.
हालांकि वो मना कर चुकी हैं और कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी भी इसे प्रियंका का फ़ैसला बता चुके हैं लेकिन एक बार फिर इसकी संभावनाएं नज़र आ रही हैं.
चुनाव प्रचार को दौरान जब एक पत्रकार ने प्रियंका से पूछा कि क्या वो चुनाव लड़ रही हैं तो उन्होंने उल्टा सवाल दागते हुए कहा क्या वाराणसी से लडूं?
प्रियंका गांधी ने कहा कि वह चुनाव में खड़े होने के लिए तैयार हैं लेकिन जब पार्टी कहेगी.
द टाइम्स ऑफ़ इंडिया की एक रिपोर्ट के मुताबिक राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण के निर्देश पर हो रही सीलिंग के विरोध के दौरान हुई झड़प में तीस लोग घायल हो गए हैं. शनिवार सुबह दक्षिणी दिल्ली के मायापुरी इलाक़े में स्थानीय दुकानदारों ने सीलिंग की कार्रवाई का विरोध किया. अधिकारी यहां अवैध कबाड़ यूनिटों को बंद करने आए थे. इस दौरान पुलिसबलों और स्थानीय लोगों में झड़पें हो गईं और अफ़रातफ़री का माहौल रहा.
Monday, April 8, 2019
बांग्लादेश में ख़ूबसूरत दिखने का ये कौन सा फ़ैशन
बांग्लादेश में ख़ूबसूरत दिखने के दबाव को कैमरे में क़ैद करने वाली 29 साल की हबीबा नवरोज़ कहती हैं, "महिला होने के नाते आम तौर पर ख़ुद को ख़ूबसूरत दिखाने का हम पर दबाव रहता है."
"और ख़ूबसरती हासिल करने के क्रम में हमारा व्यक्तित्व भी छीन लिया जाता है. यहां तक कि हम ख़ुद के लिए अनजान हो जाते हैं और हमारी पहचान गुम हो जाती है."
हबीबा की तस्वीरों में महिलाएं चमक और रंग से भरपूर दिखती हैं लेकिन उनका चेहरा पूरी तरह ढंका है.
ये दिखाता है कि भले बाहर से बेहद ख़ूबसूरत दिखने के लिए उन्होंने काफ़ी मेहनत की है, लेकिन उनका आत्मविश्वास ख़त्म हो चुका है.
हबीबा इस ओर सबका ध्यान आकर्षित करना चाहती हैं कि दूसरों को ख़ुश रखने के लिए बांग्लादेशी महिलाओं को कितना कुछ समझौता करना पड़ता है.
बीबीसी बंगाली से बात करते हुए हबीबा कहती हैं कि ये आईडिया अपने एक "बहुत कड़वे निजी अनुभव" के बाद आया.
"मैं जब यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएट हुई, मैंने पाया कि लोग मुझसे बहुत अधिक उम्मीद रखने लगे थे. मुझे शादी करनी थी, मां बनना था, अच्छे वेतन वाली नौकरी पानी थी. अपने आस पास की अधिकांश लड़कियों के साथ ये होते हुए मैं देख चुकी हूं- वो अपने लिए असल में क्या चाहती हैं, उसे भूल जाने को मजबूर होना पड़ता है. "
एक फ़ोटोग्राफ़र के रूप में पहले साल हबीबा ने महसूस किया कि वो चाहे जितना मेहनत करें, ये काफ़ी नहीं है, "अगर आप महिला हैं और ख़ुद को साबित करना चाहती हैं, तो आपको मर्दों के मुक़ाबले दोगुनी मेहनत करनी होगी."
वो कहती हैं, "मुझे लगा कि एक इंसान के रूप में मैं ख़ुद से दूर होती जा रही हूं. इसके बाद मैंने ख़ुद को ख़ुश रखने की कोशिशें शुरू कीं, यानी ख़ुद से ईमानदार रहने की."
फ़ोटोग्राफ़र के रूप में क़रीब 6 साल पहले हबीबा ने एक सिरीज़ शुरू की, 'कन्सील्ड'.
वो कहती हैं, "इस एहसास को हटाने और लोगों की उम्मीदों को नकारने के एक तरीक़े के रूप में मैंने ये सिरीज़ शुरू की."
जब 2016 में हबीबा ने ढाका में अपनी तस्वीरों की एक प्रदर्शनी लगाई तो बहुत से लोगों का ध्यान गया.
कुल मिलाकर कला जगत में महिलाएं उनका संदेश समझ गईं, लेकिन कलादीर्घा संभालने वाले पुरुषों को अक्सर थोड़ा और समझाने की ज़रूरत पड़ती है.
वो कहती हैं, "महिलाएं इस बात को समझ गईं, कि मैं क्या बात कर रही हूं, क्योंकि इन अनुभवों से वो होकर गुज़री हैं. लेकिन स्वाभाविक तौर पर पुरुषों के साथ ऐसा मामला नहीं है."
हबीबा कहती हैं कि 'बांग्लादेश में महिला फ़ोटोग्राफ़र बहुत नहीं हैं, ये भी एक समस्या है. लेकिन चीज़ें अब बदल रही हैं.'
"और ख़ूबसरती हासिल करने के क्रम में हमारा व्यक्तित्व भी छीन लिया जाता है. यहां तक कि हम ख़ुद के लिए अनजान हो जाते हैं और हमारी पहचान गुम हो जाती है."
हबीबा की तस्वीरों में महिलाएं चमक और रंग से भरपूर दिखती हैं लेकिन उनका चेहरा पूरी तरह ढंका है.
ये दिखाता है कि भले बाहर से बेहद ख़ूबसूरत दिखने के लिए उन्होंने काफ़ी मेहनत की है, लेकिन उनका आत्मविश्वास ख़त्म हो चुका है.
हबीबा इस ओर सबका ध्यान आकर्षित करना चाहती हैं कि दूसरों को ख़ुश रखने के लिए बांग्लादेशी महिलाओं को कितना कुछ समझौता करना पड़ता है.
बीबीसी बंगाली से बात करते हुए हबीबा कहती हैं कि ये आईडिया अपने एक "बहुत कड़वे निजी अनुभव" के बाद आया.
"मैं जब यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएट हुई, मैंने पाया कि लोग मुझसे बहुत अधिक उम्मीद रखने लगे थे. मुझे शादी करनी थी, मां बनना था, अच्छे वेतन वाली नौकरी पानी थी. अपने आस पास की अधिकांश लड़कियों के साथ ये होते हुए मैं देख चुकी हूं- वो अपने लिए असल में क्या चाहती हैं, उसे भूल जाने को मजबूर होना पड़ता है. "
एक फ़ोटोग्राफ़र के रूप में पहले साल हबीबा ने महसूस किया कि वो चाहे जितना मेहनत करें, ये काफ़ी नहीं है, "अगर आप महिला हैं और ख़ुद को साबित करना चाहती हैं, तो आपको मर्दों के मुक़ाबले दोगुनी मेहनत करनी होगी."
वो कहती हैं, "मुझे लगा कि एक इंसान के रूप में मैं ख़ुद से दूर होती जा रही हूं. इसके बाद मैंने ख़ुद को ख़ुश रखने की कोशिशें शुरू कीं, यानी ख़ुद से ईमानदार रहने की."
फ़ोटोग्राफ़र के रूप में क़रीब 6 साल पहले हबीबा ने एक सिरीज़ शुरू की, 'कन्सील्ड'.
वो कहती हैं, "इस एहसास को हटाने और लोगों की उम्मीदों को नकारने के एक तरीक़े के रूप में मैंने ये सिरीज़ शुरू की."
जब 2016 में हबीबा ने ढाका में अपनी तस्वीरों की एक प्रदर्शनी लगाई तो बहुत से लोगों का ध्यान गया.
कुल मिलाकर कला जगत में महिलाएं उनका संदेश समझ गईं, लेकिन कलादीर्घा संभालने वाले पुरुषों को अक्सर थोड़ा और समझाने की ज़रूरत पड़ती है.
वो कहती हैं, "महिलाएं इस बात को समझ गईं, कि मैं क्या बात कर रही हूं, क्योंकि इन अनुभवों से वो होकर गुज़री हैं. लेकिन स्वाभाविक तौर पर पुरुषों के साथ ऐसा मामला नहीं है."
हबीबा कहती हैं कि 'बांग्लादेश में महिला फ़ोटोग्राफ़र बहुत नहीं हैं, ये भी एक समस्या है. लेकिन चीज़ें अब बदल रही हैं.'
Friday, April 5, 2019
मोदी ने कहा- नेता पुत्र का चुनाव लड़ना वंशवाद नहीं, एक ही परिवार से पार्टी मुखिया बनना वंशवाद
नई दिल्ली. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राजनीति में वंशवाद की व्याख्या की है। न्यूज चैनल एबीपी को दिए इंटरव्यू में उन्होंने कहा कि नेता का बेटा चुनाव लड़े तो इसे वंशवाद नहीं कहा जा सकता। हालांकि उन्होंने इसे भी रोके जाने की बात कही। मोदी के मुताबिक- किसी परिवार के सदस्य का पार्टी का मुखिया बनना वंशवाद है।
सवाल: कांग्रेस ये आरोप लगा रही है कि आज सरकार की आलोचना करना राष्ट्रद्रोह है?
मोदी: न्यायालय पर भरोसा रखना चाहिए।
सवाल: कश्मीर में गठबंधन क्यों खत्म कर दिया?
मोदी: जब हम हमने गठबंधन किया तब मुफ्ती मोहम्मद सईद थे। गठबंधन मिलावटी साबित हुआ। हमने सरकार चलाने की कोशिश की। महबूबा जी के काम करने का तरीका अलग है। हमारा मत था कि जम्मू-कश्मीर में स्थानीय निकाय के चुनाव होने चाहिए। पंचायतों को पैसे दिए जाने चाहिए। वे नहीं चाहते थे कि पंचायतों की ताकत बढ़े। उन्होंने डर पैदा करने की कोशिश की कि चुनाव होने पर हत्याएं होंगी। इसके बाद हम अलग हो गए। हमारी कोशिश थी कि गठबंधन में अच्छा करें।
सवाल: कश्मीर को बेहतर ढंग से हैंडल करना चाहिए था, इसमें क्या सरकार असफल रही?
मोदी: जब हम जम्मू कश्मीर की बात करते हैं तो हमें घाटी, लद्दाख की भी बात करनी चाहिए थी। वहां घटनाएं कम हो रही है। जम्मू-कश्मीर के हर घर में बिजली और शौचालय की सुविधा उपलब्ध हो गई। कृषि, खादी व्यवसाय में वृद्धि हुई। अमरनाथ, वैष्णो देवी के पर्यटक बढ़ रहे हैं। स्पोर्ट्स में वहां के बच्चे अच्छा कर रहे हैं। अलगाववादियों के प्रति नरमी अब सही नहीं होगी। हम उनके खिलाफ कार्रवाई कर रहे हैं। दो-तीन जिलों में ही वे सक्रिय हैं। वहां से भी हटाया जाएगा।
सवाल: पाकिस्तान को लेकर क्या सोचते हैं?
मोदी: मेरा काम भारत के हितों की रक्षा करना है, पाकिस्तान चलाना मेरी जिम्मेदारी नहीं। पाकिस्तान में पता ही नहीं चलता कि देश कौन चलाता है। सेना, आईएसआई, चुनी हुई सरकार या पाक से भागे हुए लोग देश चलाते हैं। यह भी पता नहीं चलता कि बात किससे करें? वे आतंक का निर्यात करना बंद करें। चीन का साथ हमारे सीमा विवाद है, लेकिन व्यवसाय और राजनीतिक बातें होती हैं।
सवाल: आपको गांधी-नेहरू परिवार से दिक्कत क्या है?
मोदी: मैं चाहूंगा कि इस प्रकार से सहानुभूति हासिल करने के लिए वे जो ड्रामेबाजी कर रहे हैं, वे बताएं कि मैंने क्या किया? लालूजी जेल में हैं, लेकिन केस तो कांग्रेस के काल में शुरू हुआ था। इसमें मेरा क्या दोष है? मैंने देश से कहा है कि लूटने वालों से पाई-पाई वापस लूंगा? नेशनल हेराल्ड का केस भी मेरे आने से पहले शुरू हुआ था, लेकिन दबा दिया गया। मैं तो बस कानूनी काम कर रहा हूं। देश के एक वित्त मंत्री को आज कोर्ट का चक्कर लगाना पड़ रहा है।
सवाल: गांधी भाई-बहनों में बेहतर कौन है?
मोदी: कांग्रेस पार्टी सवा सौ साल से ज्यादा पुरानी है। इस पार्टी का ऐसा क्या दरिद्र है कि उसके अंदर से नेता नहीं उभरते। मैं उनसे मिला नहीं, उन्हें निजी तौर पर नहीं जानता, इसलिए कोई टिप्पणी नहीं करूंगा।
सवाल: वाराणसी से प्रियंका के चुनाव लड़ने की खबरें हैं?
मोदी: लोकतंत्र में कोई कहीं से भी चुनाव लड़ सकता है।
सवाल: आप भी दो सीटों से चुनाव लड़े थे लेकिन राहुल के दो सीटों से चुनाव लड़ने पर विवाद हो रहा है?
मोदी: कौन कहां से चुनाव लड़ता है, वह उनका निर्णय है। अमेठी से उनको (राहुल गांधी) भागना क्यों पड़ा, ये देश जानना चाहता है।
सवाल: वंशवाद को लेकर क्या कहेंगे?
मोदी: अगर भारतीय जनता पार्टी बुरे रास्ते पर चलेगी तो हम दूसरे से शिकायत नहीं कर सकते। कांग्रेस से लोगों को अपेक्षा है। बाबा साहब अंबेडकर ने 1937 में कहा था कि वंशवाद लोकतंत्र के लिए खतरा है। उस वक्त तो मोदी पैदा भी नहीं हुआ था। मैंने कभी किसी का नाम नहीं लिया। नेता का बेटा चुनाव लड़े, वह वंशवाद नहीं है। पार्टी का मुखिया बार-बार किसी परिवार का सदस्य ही बने, यह वंशवाद है। हम अपने गठबंधन के साथियों से भी परिवारवाद से दूर रहने को कहते हैं।
सवाल: कांग्रेस ये आरोप लगा रही है कि आज सरकार की आलोचना करना राष्ट्रद्रोह है?
मोदी: न्यायालय पर भरोसा रखना चाहिए।
सवाल: कश्मीर में गठबंधन क्यों खत्म कर दिया?
मोदी: जब हम हमने गठबंधन किया तब मुफ्ती मोहम्मद सईद थे। गठबंधन मिलावटी साबित हुआ। हमने सरकार चलाने की कोशिश की। महबूबा जी के काम करने का तरीका अलग है। हमारा मत था कि जम्मू-कश्मीर में स्थानीय निकाय के चुनाव होने चाहिए। पंचायतों को पैसे दिए जाने चाहिए। वे नहीं चाहते थे कि पंचायतों की ताकत बढ़े। उन्होंने डर पैदा करने की कोशिश की कि चुनाव होने पर हत्याएं होंगी। इसके बाद हम अलग हो गए। हमारी कोशिश थी कि गठबंधन में अच्छा करें।
सवाल: कश्मीर को बेहतर ढंग से हैंडल करना चाहिए था, इसमें क्या सरकार असफल रही?
मोदी: जब हम जम्मू कश्मीर की बात करते हैं तो हमें घाटी, लद्दाख की भी बात करनी चाहिए थी। वहां घटनाएं कम हो रही है। जम्मू-कश्मीर के हर घर में बिजली और शौचालय की सुविधा उपलब्ध हो गई। कृषि, खादी व्यवसाय में वृद्धि हुई। अमरनाथ, वैष्णो देवी के पर्यटक बढ़ रहे हैं। स्पोर्ट्स में वहां के बच्चे अच्छा कर रहे हैं। अलगाववादियों के प्रति नरमी अब सही नहीं होगी। हम उनके खिलाफ कार्रवाई कर रहे हैं। दो-तीन जिलों में ही वे सक्रिय हैं। वहां से भी हटाया जाएगा।
सवाल: पाकिस्तान को लेकर क्या सोचते हैं?
मोदी: मेरा काम भारत के हितों की रक्षा करना है, पाकिस्तान चलाना मेरी जिम्मेदारी नहीं। पाकिस्तान में पता ही नहीं चलता कि देश कौन चलाता है। सेना, आईएसआई, चुनी हुई सरकार या पाक से भागे हुए लोग देश चलाते हैं। यह भी पता नहीं चलता कि बात किससे करें? वे आतंक का निर्यात करना बंद करें। चीन का साथ हमारे सीमा विवाद है, लेकिन व्यवसाय और राजनीतिक बातें होती हैं।
सवाल: आपको गांधी-नेहरू परिवार से दिक्कत क्या है?
मोदी: मैं चाहूंगा कि इस प्रकार से सहानुभूति हासिल करने के लिए वे जो ड्रामेबाजी कर रहे हैं, वे बताएं कि मैंने क्या किया? लालूजी जेल में हैं, लेकिन केस तो कांग्रेस के काल में शुरू हुआ था। इसमें मेरा क्या दोष है? मैंने देश से कहा है कि लूटने वालों से पाई-पाई वापस लूंगा? नेशनल हेराल्ड का केस भी मेरे आने से पहले शुरू हुआ था, लेकिन दबा दिया गया। मैं तो बस कानूनी काम कर रहा हूं। देश के एक वित्त मंत्री को आज कोर्ट का चक्कर लगाना पड़ रहा है।
सवाल: गांधी भाई-बहनों में बेहतर कौन है?
मोदी: कांग्रेस पार्टी सवा सौ साल से ज्यादा पुरानी है। इस पार्टी का ऐसा क्या दरिद्र है कि उसके अंदर से नेता नहीं उभरते। मैं उनसे मिला नहीं, उन्हें निजी तौर पर नहीं जानता, इसलिए कोई टिप्पणी नहीं करूंगा।
सवाल: वाराणसी से प्रियंका के चुनाव लड़ने की खबरें हैं?
मोदी: लोकतंत्र में कोई कहीं से भी चुनाव लड़ सकता है।
सवाल: आप भी दो सीटों से चुनाव लड़े थे लेकिन राहुल के दो सीटों से चुनाव लड़ने पर विवाद हो रहा है?
मोदी: कौन कहां से चुनाव लड़ता है, वह उनका निर्णय है। अमेठी से उनको (राहुल गांधी) भागना क्यों पड़ा, ये देश जानना चाहता है।
सवाल: वंशवाद को लेकर क्या कहेंगे?
मोदी: अगर भारतीय जनता पार्टी बुरे रास्ते पर चलेगी तो हम दूसरे से शिकायत नहीं कर सकते। कांग्रेस से लोगों को अपेक्षा है। बाबा साहब अंबेडकर ने 1937 में कहा था कि वंशवाद लोकतंत्र के लिए खतरा है। उस वक्त तो मोदी पैदा भी नहीं हुआ था। मैंने कभी किसी का नाम नहीं लिया। नेता का बेटा चुनाव लड़े, वह वंशवाद नहीं है। पार्टी का मुखिया बार-बार किसी परिवार का सदस्य ही बने, यह वंशवाद है। हम अपने गठबंधन के साथियों से भी परिवारवाद से दूर रहने को कहते हैं।
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