Monday, December 17, 2018

प्रियंका का पर्दे के पीछे रहना क्या कांग्रेस की रणनीति है? : नज़रिया

11 दिसंबर को जैसे-जैसे चुनाव के फ़ैसले आते गए कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी की जय-जयकार बढ़ती ही जा रही थी लेकिन एक चेहरा जो हमेशा राहुल के इर्द गिर्द दिखता था वो इस चुनावी मौसम में एक दम नहीं दिखा.

वो चेहरा था राहुल गांधी की बहन प्रियंका गांधी का.

वो प्रियंका गांधी जिन्होंने राहुल गांधी की पहली चुनावी रैली में अपने भाई को बाकायदा आगे बढ़ाया था.

अगर तस्वीरों पर नज़र डालें तो सबसे ज़्यादा वो तस्वीरें उभरती हैं जिसमें लोगों के बीच में राहुल और प्रियंका बैठे हैं और राहुल ने प्रियंका के कंधे पर हाथ रखा हुआ है.

तो कहां गई प्रियंका गांधी? क्या कांग्रेस के राजनीतिक पटल से प्रियंका एकदम गायब हो चुकी हैं?

कहां गई प्रियंका गांधी
इस चुनावी मौसम राहुल गांधी की रैलियां या बयान काफ़ी चर्चा में रहे. प्रधानमंत्री मोदी पर उनके आरोपों ने काफ़ी सुर्खियां बटोरी लेकिन राहुल गांधी को आगे बढ़ाती प्रियंका न किसी रैली में दिखीं न ही ख़बरों में.

और तो और ये पहला चुनावी मौसम था जिसमें प्रियंका गांधी की चर्चा भी नहीं की गई.

गुजरात चुनाव के दौरान जहां राहुल गांधी के नए रूप को बार बार देखा गया, वहां प्रियंका की सक्रियता भी दिखती थी.

कांग्रेस अधिवेशन में मंच पर भले ही सोनिया गांधी और राहुल गांधी ने मोर्चा संभाला था लेकिन मंच के पीछे का इंतजाम प्रियंका गांधी ने ही अपने जिम्मे लिया था.

कांग्रेस नेताओं के मुताबिक प्रियंका ने एक अच्छे प्रशासक की तरह छोटी छोटी बातों का ध्यान रखा था. एक तरफ वो मच्छरों से निजात पाने के लिए स्प्रे कराती हुई नज़र आई थीं तो साथ ही पर्दे के पीछे से वॉकी-टॉकी लेकर इंतज़ाम में तालमेल बनाती नज़र आईं थी.

इतना ही नहीं, प्रियंका ने ही मंच पर बोलने वाले वक्ताओं की सूची को अंतिम रूप दिया और पहली बार युवा और अनुभवी वक्ताओं का एक मिश्रण दिया. यहां तक कि राहुल गांधी और सोनिया गांधी समेत क़रीब-क़रीब सभी के भाषण के 'फैक्ट चेक' का जिम्मा भी लिया.

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