Monday, March 25, 2019

कांग्रेस को झटका, राशिद अल्वी बोले- नहीं लडूंगा चुनाव, सचिन चौधरी को मिला टिकट

उत्तर प्रदेश कांग्रेस के बड़े नेता राशिद अल्वी ने सोमवार को कहा कि वे स्वास्थ्य कारणों की वजह से चुनाव नहीं लड़ पाएंगे. उन्होंने चुनाव नहीं लड़ने की सूचना पार्टी आलाकमान को भेज दी है. राशिद अल्वी अमरोहा सीट से कांग्रेस के प्रत्याशी हैं. इसके बाद कांग्रेस ने सचिन चौधरी को अमरोहा का नया उम्मीदवार बनाया है. हालांकि राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि कांग्रेस की पहली सूची में नाम नहीं होने की वजह से राशिद अल्वी नाराज चल रहे थे. उनका नाम पार्टी की 8वीं सूची में आया था. अमरोहा सीट से भाजपा ने कंवर सिंह तंवर और बसपा ने दानिश अली को मैदान में उतारा है. इस लोकसभा चुनाव में ऐसा पहली बार हुआ है जब पार्टी द्वारा प्रत्याशी बनाए जाने के बाद किसी उम्मीदवार ने अपना नाम मैदान से वापस लिया है.

कांग्रेस के पूर्व प्रवक्ता राशिद अल्वी 1999 से 2004 तक सांसद रहे. इसके अलावा दो बार उत्तर प्रदेश से राज्यसभा सांसद भी रह चुके हैं. पिछले महीने कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने यूपी का किला फतह करने के लिए कुछ 6 समितियां बनाई थीं. इन समितियों में कुल 92 लोग हैं. कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने जिन छह समितियों के गठन को मंजूरी दी है, उनमें चुनाव समिति, प्रचार अभियान समिति, चुनाव रणनीति और योजना समिति, समन्वय समिति, घोषणापत्र समिति और मीडिया एवं प्रचार समिति शामिल है.

राशिद अल्वी मैनिफेस्टो कमेटी के चेयरमैन बनाए गए थे

कांग्रेस अध्यक्ष ने राशिद अल्वी को मैनिफेस्टो कमेटी का चेयरमैन बनाया है. इस कमेटी में कुल 10 सदस्य हैं. इनमें पूर्व मंत्री प्रदीप जैन, पूर्व मंत्री जितिन प्रसाद, पूर्व एमपी बृजलाल खाबरी, पूर्व विधायक गजराज सिंह और हफीजुर्रहमान, पूर्व एमएलसी हरेंद्र अग्रवाल, रिसर्च विभाग के संयुक्त सचिव हर्षवर्धन श्याम, प्रदेश यूथ कांग्रेस (पूर्वी जोन) के अध्यक्ष नीरज त्रिपाठी और एनएसयूआई पश्चिम जोन के अध्यक्ष रोहित राणा शामिल हैं.

पश्चिमी यूपी की चार सीटों पर कांग्रेस ने उतारे मुस्लिम प्रत्याशी

कांग्रेस ने अपने मुस्लिम प्रत्याशियों के जरिए सपा-बसपा गठजोड़ का करारा जवाब दिया था. कांग्रेस ने पश्चिमी उत्तर प्रदेश की चार लोकसभा सीटों पर मुस्लिम उम्मीदवार उतारे थे. मुरादाबाद, बिजनौर, सहारनपुर और अमरोहा चार ऐसे लोकसभा क्षेत्र हैं, जहां से कांग्रेस ने मुस्लिम चेहरों को मौका दिया है. मुरादाबाद से इमरान प्रतापगढ़ी, बिजनौर से नसीमुद्दीन सिद्दीकी, सहारनपुर से इमरान मसूद और अमरोहा से राशिद अलवी को टिकट दिया गया है. ये चारों सिर्फ प्रत्याशी भर नहीं हैं, बल्कि इनकी अपनी अलग खास पहचान भी है. अब इनमें से एक राशिद अल्वी ने चुनाव लड़ने से मना कर दिया है. कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता राशिद अल्वी पूरे देश में अपनी पहचान रखते हैं.

राशिद के चुनाव नहीं लड़ने से कांग्रेस को बड़ा झटका

अब तक मायावाती लगातार कांग्रेस पर हमले कर रही थीं. इसके जवाब में कांग्रेस ने चार मुस्लिम उम्मीदवार मैदान में उतार दिए थे. राजनीतिक विश्लेषकों की माने तो जिन लोकसभा सीटों पर 20 फीसदी से ज्यादा मुस्लिम आबादी है, और वहां गठबंधन का कोई मुस्लिम उम्मीदवार नहीं है, वहां कांग्रेस ने अपने मजबूत मुस्लिम उम्मीदवार उतारने की रणनीति अपनाई है. लेकिन राशिद अगर चुनाव नहीं लड़ेंगे तो मायावती की पार्टी बसपा के अमरोहा प्रत्याशी दानिश अली के जीतने की उम्मीद बढ़ जाएंगी. पश्चिमी यूपी में कांग्रेस के मुस्लिम उम्मीदवारों वाली रणनीति सपा-बसपा गठबंधन को नुकसान पहुंचाने वाली थी, लेकिन अब राशिद अल्वी के जाने के बाद गठबंधन को अच्छा मौका मिल सकता है.

चारों सीटों पर मुस्लिम मतदाता सबसे बड़ा निर्णायक

पश्चिमी यूपी के चारों लोकसभा क्षेत्रों में मुसलमान वोट न सिर्फ निर्णायक भूमिका में है, बल्कि वह नेतृत्व करता भी नजर आता है. मुरादाबाद सीट पर 45 फीसदी, बिजनौर सीट पर 38 फीसदी, सहारनपुर सीट पर 39 फीसदी और अमरोहा सीट 37 फीसदी मुसलमान है.

Monday, March 18, 2019

नाकाम चीजों को संजोने वाला म्यूज़ियम

पर, इस दुनिया को कामबायी का नशा है. इस क़दर नशा है कि हर नाकामी को भुला दिया जाता है. जबकि लोग नाकामियों से ही सीख कर कामयाब होते आए हैं.

इसीलिए, स्वीडन में एक ख़ास म्यूज़ियम खोला गया है, म्यूज़ियम ऑफ़ फेल्योर, यानी नाकामी का अजायबघर.

ये विचित्र म्यूज़ियम स्वीडन के हेलसिंगबोर्ग शहर में है. इस म्यूज़ियम का रख-रखाव करने वाले सैमुअल वेस्ट कहते हैं कि, 'इस म्यूज़ियम का हिस्सा बनने की पहली शर्त है कि कोई भी चीज़ एक आविष्कार होनी चाहिए. दूसरी शर्त है कि उसे नाकाम होना चाहिए.'

सैमुअल वेस्ट कहते हैं कि, 'नाकामी से मतलब यह है कि किसी उत्पाद के वैसे नतीजे नहीं आए, जिस तरह की उम्मीद थी.'

सैमुअल ने इस में एक और शर्त जोड़ते हुए कहा कि, 'इस म्यूज़ियम का हिस्सा बनने की तीसरी शर्त ये है कि ये दिलचस्प होना चाहिए.कोई उत्पाद दिलचस्प है या नहीं इसे मैं ही तय करूंगा.'

वो इसकी मिसाल देते हैं, अटारी ई.टी. नाम के वीडियो गेम को. सैमुअल कहते हैं कि इस वीडियो गेम को दुनिया का सबसे वाहियात वीडियो गेम कहा जाता है. लोग इससे नफ़रत करते थे.

वजह यह कि इसका अहम किरदार ई.टी. जब चलता था तो वो अक्सर गड्ढों में ऐसा फंस जाता था कि निकल ही नहीं पाता था. लेकिन, इतने ख़राब वीडियो गेम के भी कुछ लोग ऐसे शैदाई हुए कि आज भी इसकी कॉपी अपने पास रखते हैं.

सैमुअल के म्यूज़ियम में रखी एक और नाकाम चीज़ है सोनी बीटामैक्स. ये टेप रिकॉर्ड प्लेयर था, जो चला ही नहीं.

कहा जाता है कि सोनी ने पोर्न उद्योग को बीटामैक्स इस्तेमाल करने से रोका था. नतीजा ये कि सोनी का बीटामैक्स बुरी तरह नाकाम रहा और इसकी जगह वीएचएस ने बाज़ी मार ली.

म्यूज़ियम में ही बिक नाम का पेन भी है, जिसे ख़ास महिलाओं के लिए बनाया गया था.

सैमुअल वेस्ट कहते हैं कि, ''नाकामी तकलीफ़ देती है. ये हमारे हौसले, हमारे आत्मविश्वास को चोट पहुंचाती है. नाकामी पर हारा हुआ महसूस करना इंसान की बुनियादी फ़ितरत है.''

सैमुअल ने हमें म्यूज़ियम में द रेजुवेनीक़ नाम का एक प्रोडक्ट दिखाया. इसे पहन कर ख़ुद को बिजली का झटका देना होता था, ताकि आप हरदम जवां बने रहें. अब भला इसे कौन ख़रीदता!

फिर यहां पर एक स्नोबोर्ड है, जिसका नाम है द मोनोस्की. इस पर सवारी करना अपने आप में बहुत बड़ी चुनौती थी. ज़ाहिर है इसे तो नाकाम होना ही था.

सैमुअल हमें अपने म्यूज़ियम में रखी स्पोर्ट्स कार डेलोरियन दिखाते हैं. ये इस क़दर नाकाम साबित हुई थी कि इसे बैक टू द फ्यूचर फ़िल्म का हिस्सा बनाया गया था.

सैमुअल वेस्ट हंसते हुए बताते हैं कि दो कंपनियों ने उनसे संपर्क किया है ताकि उनके नाकाम रहे उत्पादों की नुमाइश न की जाए.

इस म्यूज़ियम के लिए चीज़ें जुटाने का ज़रिया भी मज़ेदार रहा है. कुछ चीज़ें कंपनियों के नाराज़ कर्मचारियों से मिली हैं, तो कुछ को रूसी तस्करों की मदद से हासिल किया गया है.

सैमुअल कहते हैं कि यहां स्वीडन की कई नाकाम चीज़ें हैं. आख़िर ये म्यूज़ियम भी तो स्वीडन में ही है.

इस में सबसे ख़ास है आईटेरा नाम की साइकिल, जो प्लास्टिक की बनी हुई थी. इसे 1982 में बाज़ार में उतारा गया था. आइटेरा चलाते वक़्त इतना लहराती थी कि संतुलन बनाना मुश्किल होता था. ज़ाहिर है इसे कामयाबी मिलनी ही नहीं थी.

स्वीडन में बनी कुछ टॉफ़ी और चॉकलेट भी यहां रखी गई हैं. ये वो उत्पाद हैं जो अमरीकी उत्पादों के मुक़ाबले नहीं टिक सके.

एप्पल कंपनी का न्यूटन नाम का प्रोडक्ट भी यहां रखा है. इसे बनाने में एप्पल कंपनी ने काफ़ी पैसा और वक़्त लगाया था. लेकिन, इसे बाज़ार ने नहीं पसंद किया. गिने-चुने लोगों ने ही इसे ख़रीदा. पर, एप्पल को न्यूटन से ही आईपैड बनाने का रास्ता मिला.

सैमुअल वेस्ट कहते हैं कि यहां आने के बाद लोग अपने आप को क़ैद से आज़ाद हुआ महसूस करते हैं. वो देखते हैं कि जब गूगल, माइक्रोसॉफ्ट और एप्पल जैसी कंपनियां नाकाम हो सकती हैं. और नाकामी के बाद ज़बरदस्त सफ़लता हासिल कर सकती हैं. तो, फिर उनके नाकाम होने में भी कोई शर्म नहीं.

Friday, March 15, 2019

देखें, 27 साल पहले कैसा भाषण देते थे मोदी, BJP बोली- शेरों के तेवर नहीं बदलते

भारतीय जनता पार्टी ने नरेंद्र मोदी का एक 27 साल पुराना वीडियो जारी किया है. इस वीडियो में नरेंद्र मोदी श्रीनगर के लाल चौक पर तिरंगा फहराने जा रहे हैं. इस वीडियो में नरेंद्र मोदी जोशीला भाषण देते नजर आ रहे हैं. इस वीडियो को अपने आधिकारिक ट्वीटर अकाउंट से ट्वीट करते हुए बीजेपी ने लिखा है, "शेरों के तेवर नहीं बदलते."

ये साल था 1992. जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद नया-नया पैर पसार ही रहा था. नरेंद्र मोदी उस वक्त बीजेपी के वरिष्ठ नेता मुरली मनोहर जोशी की इस टीम के सदस्य थे, जो जबरदस्त आतंक के दौर में श्रीनगर के लाल चौक पर तिरंगा फहराने जा रही थी. आतंकियों ने बीजेपी नेताओं के इस आह्वान का विरोध किया था और श्रीनगर आने पर हमले की धमकी दी थी.

दरअसल बीजेपी ने कन्याकुमारी से एकता यात्रा शुरू करते हुए 26 जनवरी 1992 में श्रीनगर के दिल लाल चौक पर तिरंगा फहराने का ऐलान किया था. बीजेपी द्वारा जारी ये वीडियो 24 जनवरी 1992 का है. इस वीडियो में भगवा पगड़ी पहने नरेंद्र मोदी कह रहे हैं, "हमारी यात्रा की सफलता ने आतंकियों को परेशान कर रखा है. लाल चौक में पोस्टर्स लगाए हैं, दीवारों पर लिखा है जिन्होंने अपनी मां का दूध पीया है वो श्रीनगर के लाल चौक आएं, आकर भारत का तिरंगा झंडा फहराएं और अगर वो जिंदा वापस जाएगा तो आतंकवादी उसे इनाम देंगे...आतंकवादी कान खोलकर सुन लें, 26 जनवरी को परसों...अब चंद घंटे बाकी हैं...लाल चौक में फैसला हो जाएगा किसने अपनी मां का दूध पीया है."

बता दें कि 26 जनवरी को श्रीनगर के लाल चौक में स्थिति बेहद तनावपूर्ण थी. आतंकवादियों ने पुलिस मुख्यालय के पास धमाका किया था, जिसमें तत्कालीन पुलिस महानिदेशक जख्मी हो गए थे.

स्थिति की गंभीरता को देखते हुए श्रीनगर प्रशासन ने मुरली मनोहर जोशी, नरेंद्र मोदी समेत भाजपा के कुछ सीनियर नेताओं को हवाई मार्ग से श्रीनगर पहुंचाया था. लालचौक किले में तब्दील था. चारों ओर सेना और जम्मू-कश्मीर पुलिस के जवान तैनात थे. बेहद तनाव और कड़ी सुरक्षा इंतजाम के बीच मुरली मनोहर जोशी और नरेंद्र मोदी ने करीब 15 में तिरंगा फहराया और सकुशल वापस लौटे.

बीजेपी ने इस वीडियो के साथ एक और वीडियो जारी किया है, जो पुलवामा हमले के बाद पाकिस्तान स्थित बालाकोट में भारत द्वारा एयरकोट स्ट्राइक के बाद पीएम के भाषण का है. 4 मार्च 2019 के इस भाषण में गुजरात के अहमदाबाद में पीएम नरेंद्र मोदी कह रहे हैं, " जो आग देशवासियों के दिल में है वो मेरे भी दिल में है...सातवें पाताल में भी जो होंगे उनको भी मैं छोड़ने वाला नहीं हूं. मैं दोस्तो इंतजार लंबा नहीं कर सकता, चुन-चुनकर हिसाब लेना मेरी फितरत है, ये मेरा सिद्धांत है घर में घुसकर हम मारेंगे."

अपनी चिट्ठी में उन्नाव सांसद ने लिखा था कि वह उन्नाव के अलावा किसी और सीट से चुनाव नहीं लड़ना चाहते हैं और अगर उनका टिकट उन्नाव से कटा तो पार्टी को नतीजे भुगतने पड़ सकते हैं. गौरतलब है कि भारतीय जनता पार्टी ने अभी तक अपने उम्मीदवारों की लिस्ट जारी नहीं की है, खबर है कि शनिवार को पार्टी की पहली लिस्ट आ सकती है.

साक्षी महाराज अपने आक्रामक बयानों को लेकर जाने जाते हैं, फिर चाहे वह राम मंदिर को लेकर दिया गया बयान हो या फिर विपक्षी पार्टियों पर हमले का बयान हो. कई बार उनके बयान पार्टी के लिए चिंता का विषय भी बने हैं.

मनीष सिसोदिया ने पुलिस अधिकारी राजीव रंजन, पंकज सिंह और सतीश गोलचा पर दिल्ली पुलिस के इशारे पर कॉल सेंटर कर्मियों को टॉर्चर करने का आरोप लगाते हुए चुनाव आयोग से उन्हें सस्पेंड करने की मांग की है. उन्होंने कहा, 'भारतीय जनता पार्टी के इशारे पर 24 लाख वोट गलत तरीके से काटे गए. हमने पहले भी इसकी शिकायत चुनाव से की थी.'

'कॉल सेंटर के मालिकों को मिल रही धमकी'

सिसोदिया ने कहा, 'हमने डोर टू डोर कैंपेन करके नंबर इकट्ठा किया है. अब हम कैंपेनिंग कर रहे हैं और उनके वोट बनवा रहे हैं. हमने उनकी मदद की है लोगों ने अपना वोट भी बनवाया है. लेकिन जिस कॉल सेंटर के जरिए हम यह अभियान चला रहे थे. दिल्ली पुलिस भारतीय जनता पार्टी के इशारे पर उस कॉल सेंटर को रोजाना रेट कर रही है. रोजाना कॉल सेंटर के मालिकों को दफ्तर में बिठाकर परेशान किया जाता है. उन्हें धमकाया जाता है कि अगर आम आदमी पार्टी के लिए काम करना बंद नहीं किया तो तुम्हें ठोक देंगे बर्बाद कर देंगे. रोजाना दिल्ली पुलिस की यह करतूत चल रही है. अब जबकि देश में चुनाव आचार संहिता लग चुकी है सभी पार्टियों को सुगम चुनाव करने का वातावरण देना चुनाव आयोग की जिम्मेदारी है.'

Monday, March 11, 2019

7 दरवाजों से निकलेगी सत्ता की चाबी, जानिए किस चरण में कौन भारी?

देश में लोकसभा चुनाव का बिगुल बज चुका है. मुख्य चुनाव आयुक्त सुनील अरोड़ा ने रविवार को लोकसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान कर दिया. देश की 543 लोकसभा सीटों पर सात चरणों में चुनाव होंगे और नतीजे 23 मई को आएंगे. इससे साफ जाहिर है कि देश की सत्ता की चाबी के लिए राजनीतिक दलों को सात चरणों के चुनाव में पसीने बहाने होंगे. इसके बाद ही सियासी समीकरण अपने नाम कर सकेंगे. हालांकि हर चरण में कांग्रेस और बीजेपी के लिए अलग-अलग हालात और अलग-अलग चुनौतियां हैं.

पहले चरण में 91 सीटों पर वोटिंग

लोकसभा चुनाव के पहले चरण में 20 राज्यों की 91 सीटों पर 11 अप्रैल को मतदान होगा. इनमें आंध्र प्रदेश 25, अरुणाचल 2, असम 5, बिहार 4, छत्तीसगढ़ 1, जम्मू-कश्मीर 2, महाराष्ट्र 7, मणिपुर 1, मेघालय 2, मिजोरम 1, नागालैंड 1, ओडिशा 4, सिक्किम 1, तेलंगाना 17, त्रिपुरा 1, उत्तर प्रदेश 8, उत्तराखंड 5, पश्चिम बंगाल 2, अंडमान निकोबार 1  और लक्षद्वीप की 1 लोकसभा सीट शामिल है.

UPA-NDA के लिए क्षत्रप बड़ी चुनौती

इन 20 राज्यों में कांग्रेस और बीजेपी के बीच सीधा मुकाबला होने की बजाय त्रिकोणीय भिड़ंत होने की संभावना है. पश्चिम यूपी की आठ सीटों पर पहले चरण में चुनाव है, सपा-बसपा-आरएलडी गठबंधन की बीजेपी और कांग्रेस से सीधी टक्कर देखने को मिल सकती है. बिहार के जिन चार सीटों पर चुनाव है, इनमें कांग्रेस-आरएलडी का बीजेपी-एलजेपी-जेडीयू के बीच कड़ा मुकाबला हो सकता है.

जबकि पूर्वोत्तर की ज्यादातर सीटों पर इसी चरण में चुनाव है, ऐसे में कांग्रेस और बीजेपी के बीच सीधी लड़ाई दिख रही है. हालांकि दक्षिण भारत के आंध्र प्रदेश और तेलंगाना की करीब सभी सीटों पर चुनाव हो रहे हैं. आंध्र प्रदेश में टीडीपी और वाईएसआर कांग्रेस के बीच सीधी लड़ाई है, यहां कांग्रेस और बीजेपी कोई खास प्रभाव डालती नहीं दिख रही है. ओडिशा में बीजेडी, कांग्रेस और बीजेपी के बीच कड़ी टक्कर दिख रही है. जबकि उत्तराखंड और छत्तीसगढ़ में कांग्रेस और बीजेपी से सीधी लड़ाई है. 

दूसरे चरण की 97 सीटें

दूसरे चरण में 13 राज्यों की 97 लोकसभा सीटों पर 18 अप्रैल को वोट डाले जाएंगे.  इनमें असम 5, बिहार 5, छत्तीसगढ़ 3, जम्मू-कश्मीर 2, कर्नाटक 14, महाराष्ट्र 10, मणिपुर 1, ओडिशा 5, तमिलनाडु 39, त्रिपुरा 1, उत्तर प्रदेश 8, पश्चिम बंगाल 3  और पुड्डुचेरी की 1 सीट शामिल है.

कांग्रेस-बीजेपी गठबंधन के बीच सीधी लड़ाई

पश्चिम यूपी की जिन 8 सीटों पर दूसरे चरण में चुनाव है, वहां बसपा और बीजेपी के बीच सीधी लड़ाई की संभावना दिख रही है. मथुरा सीट पर आरएलडी और बीजेपी के बीच मुकाबला माना जा रहा है. बिहार की जिन पांच सीटों पर चुनाव है वो सीमांचल और उससे लगी हुईं सीटें हैं. ये इलाका आरजेडी-कांग्रेस का मजबूत गढ़ माना जाता है, ऐसे में बीजेपी ने जेडीयू के साथ मिलकर कड़ी टक्कर देने की कवायद की है. जबकि महाराष्ट्र की 10 सीटों पर कांग्रेस-एनसीपी और बीजेपी-शिवसेना के बीच कड़ा मुकाबला है.

वहीं, तमिलनाडु की सभी सीटों पर एक साथ चुनाव होने हैं, जहां कांग्रेस-डीएमके और बीजेपी-AIADMK के बीच सीधी लड़ाई है. कर्नाटक में जिन 14 सीटों पर चुनाव है वहां कांग्रेस-जेडीएस गठबंधन से बीजेपी को मुकाबला करना होगा. ऐसे में बीजेपी के सामने कड़ी चुनौती है. असम और छत्तीसगढ़ में कांग्रेस-बीजेपी के बीच कड़ी टक्कर देखी जा रही है. वहीं, ओडिशा की पांच सीटों पर कांग्रेस, बीजेडी और बीजेपी के बीच त्रिकोणीय मुकाबला है. 

तीसरे चरण में सबसे ज्यादा सीटें

तीसरे चरण में 14 राज्यों की 115 लोकसभा सीटों पर 23 अप्रैल को वोटिंग होगी. असम 4, बिहार 5, छत्तीसगढ़ 7, गुजरात 26, गोवा 2, जम्मू-कश्मीर 1, कर्नाटक 14, केरल 20, महाराष्ट्र 14, ओडिशा 6, उत्तर प्रदेश 10, पश्चिम बंगाल 5, दादर नागर हवेली 1 और दमन दीव की 1 सीट शामिल है.

कांग्रेस-बीजेपी के बीच सीधा मुकाबला

दूसरे चरण की ज्यादातर सीटों पर कांग्रेस और बीजेपी के बीच सीधा मुकाबला है. असम, छत्तीसगढ़ और गुजरात में कांग्रेस और बीजेपी आमने-सामने हैं. जबकि महाराष्ट्र की 14 सीटों पर कांग्रेस-एनसीपी और बीजेपी-शिवसेना के बीच सीधी लड़ाई होती दिख रही है. वहीं, केरल में कांग्रेस के नेतृत्व वाले यूडीएफ और लेफ्ट वाले एलडीएफ के बीच सीधी लड़ाई मानी जा रही है, लेकिन बीजेपी ने सबरीमाला के मुद्दे को लेकर अपनी जगह बनाने की कवायद की है. उत्तर प्रदेश की जिन 10 सीटों पर चुनाव है, ये सपा प्रभाव वाली सीटें हैं. ऐसे में बीजेपी का सीधा मुकाबला सपा से है.

बिहार की जिन पांच सीटों पर इस चरण में चुनाव है ये सभी सीमांचल इलाके में आती हैं. ऐसे में कांग्रेस-आरएलडी गठबंधन की मजबूत पकड़ है, जहां बीजेपी-जेडीयू एक बार फिर अपनी मजबूत पकड़ बनाने के लिए बेताब हैं. ओडिशा की 6 सीटों पर त्रिकोणीय मुकाबला माना जा रहा है. जबकि बंगाल की पांच सीटों पर टीएमसी, बीजेपी और कांग्रेस-लेफ्ट के बीच त्रिकोणीय होने की उम्मीद दिख रही है. जबकि कर्नाटक की 14 सीटों पर बीजेपी के लिए कांग्रेस-जेडीएस गठबंधन एक बड़ी चुनौती पेश कर रहा है.

चौथे दौर में 71 सीटों पर चुनाव

चौथे चरण में 9 राज्यों की 71 सीटों पर 29 अप्रैल को मतदान होगा. इनमें बिहार की 5, जम्मू-कश्मीर की 1, झारखंड की 3, मध्य प्रदेश की 6, महाराष्ट्र की 17, ओडिशा की  6, राजस्थान की 13, उत्तर प्रदेश की 13 और पश्चिम बंगाल की 8 सीटें शामिल हैं.

Tuesday, March 5, 2019

AAP-कांग्रेस में नहीं होगा गठबंधन, शीला दीक्षित बोलीं- राहुल भी सहमत

लोकसभा चुनाव 2019 की राजनीतिक जंग फतह करने के लिए कांग्रेस अलग-अलग राज्यों में विभिन्न सियासी पार्टियों के साथ गठबंधन करने में जुटी है. इस कड़ी में कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने आम आदमी पार्टी के साथ गठबंधन के मुद्दे पर दिल्ली में पार्टी के वरिष्ठ नेताओं की बैठक बुलाई, जिसमें तय हुआ है कि कांग्रेस दिल्ली में AAP के साथ मिलकर चुनाव नहीं लड़ेगी.

राहुल गांधी के साथ बैठक के बाद दिल्ली कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष शीला दीक्षित ने साफ कर दिया है कि दिल्ली में आम आदमी पार्टी के साथ कांग्रेस गठबंधन नहीं करेगी. शीला ने कहा, ' हमने राहुलजी को बताया कि AAP के साथ गठबंधन नहीं करना चाहिए. इस पर उन्होंने सहमति व्यक्त कर दी है.'

हालांकि उन्होंने कहा कि AAP को गठबंधन की बाध्यता दिखा रही हो, लेकिन हम तैयार नहीं है. हमने सर्वसम्मति से फैसला किया है कि कांग्रेस पार्टी AAP के साथ मिलकर चुनाव नहीं लड़ेगी.

बता दें कि आम आदमी पार्टी के साथ गठबंधन के लिए कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गाधी के आवास पर दोपहर में होगी.  राहुल ने दिल्ली प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष शीला दीक्षित के साथ-साथ तीनों कार्यकारी अध्यक्षों- पूर्व विधायक हारुन यूसुफ, राजेश लिलोठिया और देवेंद्र यादव को बुलाया गया है. इसके अलावा पार्टी के पूर्व अध्यक्षों को भी उक्त बैठक में बुलाया गया है.आम आदमी पार्टी लंबे समय से कांग्रेस के साथ गठबंधन करने पर जोर दे रही है. दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल तो यहां तक कह चुके थे कि हम तो तैयार हैं, लेकिन कांग्रेस इसके लिए तैयार नहीं है.  ये बात आजतक को दिए गए इंटरव्यू में भी वह कह चुके हैं. अब बदले हुए राजनीतिक हालात में एक बार फिर से गठबंधन की कवायद शुरू हुई है. कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के साथ दिल्ली प्रदेश कांग्रेस नेताओं की मंगलवार को हो रही बैठक में माना जा रहा है गठबंधन पर मुहर लग सकती है.

सूत्रों की मानें तो दिल्ली की 7 लोकसभा सीटों को लेकर फॉर्मूला भी सुझाया गया है. इसके तहते कांग्रेस 3, आम आदमी पार्टी 3 और एक सीट निर्दलीय के खाते में जा सकती है. हालांकि कांग्रेस में एक खेमा अभी भी गठबंधन के पक्ष में नहीं है.

दरअसल, दिल्ली में आम आदमी पार्टी ने दिल्ली की 6 लोकसभा सीटों पर अपने उम्मीदवारों के नाम की घोषणा कर चुके हैं. आम आदमी पार्टी ने नई दिल्ली संसदीय सीट से बृजेश गोयल, पूर्वी दिल्ली से आतिशी, उत्तर पूर्वी दिल्ली से दिलीप पांडेय, साउथ दिल्ली से राघव चड्ढा, चांदनी चौक से पंकज गुप्ता और उत्तर पश्चिम दिल्ली से गुगन सिंह को उम्मीदवार बनाया गया है.

भारत का मोस्ट वांटेड आतंकी मसूद अजहर पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में बहावलपुर का रहने वाला है, उसने 2000 में जैश-ए-मोहम्मद आतंकी संगठन बनाया था. वर्ष 1999 में तत्कालीन एनडीए की सरकार ने हाईजैक किए गए इंडियन एयरलाइन्स के विमान आईसी-814 को छुड़ाने के बदलने अजहर को छोड़ दिया था. बता दें कि 50 साल के आतंकी मसूद पर 2001 में भारतीय संसद पर हुए हमले की साजिश रचने का, जम्मू कश्मीर विधानसभा पर आत्मघाती हमले और पठानकोट वायु सेना केंद्र तथा पुलवामा आतंकी हमले की साजिश रचने के भी आरोप हैं.

जम्मू कश्मीर के पुलवामा में हुए आतंकी हमले में सीआरपीएफ के 40 जवानों के शहीद होने के बाद भारतीय वायु सेना ने पाकिस्तान के बालाकोट में आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद के आतंकी शिविरों को निशाना बनाया था. जिसके बाद सरकार ने पाकिस्तान की जमीन से चलने वाले आतंकी शिविरों को तबाह करने का दावा करते हुए बड़ी सफलता मिलने की बात कही थी.

उधर, पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने एक इंटरव्यू में कहा कि जैश प्रमुख अजहर पाकिस्तान में है और उसकी सेहत बहुत खराब है. लेकिन उन्होंने यह भी कहा कि अगर भारत ठोस सबूत पेश करे तो पाक सरकार उसके खिलाफ कार्रवाई कर सकती है. कुरैशी ने कहा था, ‘वह मेरी जानकारी के मुताबिक पाकिस्तान में है. वह इतना बीमार है कि अपने घर से नहीं निकल सकता.’