पंजाब में सिखों के सबसे प्रमुख धार्मिक शहर अमृतसर से क़रीब दस किलोमीटर दूर एक गांव में स्थित निरंकारी भवन पर हुए संदिग्ध चरमपंथी हमले में तीन लोग मारे गए हैं और कम से कम 19 घायल हुए हैं.
ये हमला रविवार को सत्संग के दौरान हुआ. हमले के दौरान वहां सैंकड़ों लोग मौजूद थे. अभी तक किसी संगठन ने हमले की जिम्मेदारी नहीं ली है.
पढ़िए इस हमले के बाद उठे पांच सवाल और उनके जबाव
अमृतसर हमले के पीछे कौन?
चश्मदीदों के मुताबिक दो नकाबपोश हमलावर मोटरसाइकिल पर आए. उनमें से एक ने निरंकारी मिशन भवन के गेट पर तैनात सेवादार पर पिस्तौल तानी और दूसरा भवन के अंदर चला गया.
भवन में साप्ताहिक सत्संग चल रहा था. हमलावर ने मंच की ओर ग्रेनेड फेंका जिसके धमाके में तीन लोग मारे गए और 19 घायल हो गए.
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चश्मदीदों के मुताबिक हमलावर ने चेहरे पर नक़ाब और सिर पर कपड़ा बांधा हुआ था. वो पंजाबी भाषा बोल रहे थे.
पंजाब पुलिस के डीजीपी का कहना है कि हमले की जांच 'आतंकवादी घटना के तौर पर की जा रही है'.
पुलिस ने किसी संगठन या समूह का नाम नहीं लिया है. अभी तक किसी संगठन ने इस हमले की ज़िम्मेदारी भी नहीं ली है.
क्या पंजाब में बढ़ रही है हिंसा?
पिछले हफ़्ते ही पंजाब पुलिस ने चरमपंथी संगठन जैश-ए-मोहम्मद से जुड़े 6-7 संदिग्धों के प्रदेश में दाखिल होने की अफ़वाह के बाद अलर्ट जारी किया था.
ये अलर्ट जारी किए जाने के बाद से प्रदेश भर में सुरक्षा व्यवस्था कड़ी कर दी गई थी और हर नाके पर जांच की जा रही थी.
हाल ही में जालंधर के मकसूदां पुलिस थाने पर भी हमला हुआ था. पुलिस का कहना है कि इस हैंड ग्रेनेड हमले में चार लोग शामिल थे.
इस संबंध में पुलिस ने कुछ कश्मीरी छात्रों को हिरासत में भी लिया है.
इसके पहले पंजाब में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े कई कार्यकर्ताओं और एक ईसाई पादरी की भी हत्या की जा चुकी है.
इन मामलों की जांच राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) कर रही है. इन मामलों में प्रतिबंधित चरमपंथी संगठन खालिस्तान लिब्रेशन फ़ोर्स से जुड़े लोगों को गिरफ़्तार भी किया गया है.
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